If there is pain, blackness, gangrene or ulcer - peripheral vascular disease

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सितम्बर का महीना हम पेरीफेरल वैस्कुलर डिजीज अवरेनेस्स के रूप में मानते है। 

खून की नसों को  दो तरह से विभाजित किया गया है , एक सेंट्रल दूसरी पेरीफेरल , दिल और दिमाग सेंट्रल वैस्कुलर में आते है , और दिल, दिमाग को छोड़ कर अन्य खून की नसे होती है तो उसे पेरीफेरल वैस्कुलर कहते है। 

इस तरह हम पेरीफेरल वैस्कुलर में होनी वाली बीमारियों को पेरीफेरल वैस्कुलर डिजीज कहते है. इसमे दिल से  निकल कर सीने से होती हुई थोरासिक  एओर्टा , पेट (एब्डोमेन) से गुजरने वाली उदर महाधमनी और उसकी ब्रांच तथा उदर महाधमनी का  दो भागो में डिवाइड हो कर दोनों पैरो  में खून की सप्लाई देने वाली नसे आती है| समय के साथ मेडिकल फील्ड में तरक्की के साथ पेरीफेरल वैस्कुलर सर्जन या वैस्कुलर एंड इंडोवैस्कुलर सर्जन ,का एक अलग विभाग बना जो इस तरह की बीमारियों  से SAMAGH कर इसका इलाज कर सके।

पेरीफेरल आर्टरी खून की नसे होती है जो दिल से हाथ और सीने ,पेट के रस्ते होते हुए ऑक्सीजन युक्त खून की सप्लाई करती है। 

नार्मल खून की नसों की इनर लेयर बहुत ही स्मूथ होती है , यदि किसी कारण से खून की नसों की इनर लेयर में कोई प्लाक , कोलेस्ट्रॉल , कैल्सियम ,  कुछ और चिपक जाता है तो नसे या तो सिकुड़ जाती है या बंद हो जाती है , जिसके कारण उस हिस्से में खून का दौरान कम या बंद होने से पैरो में दर्द , कालापन, गैंग्रीन या अलसर हो सकता है। सामान्य भाषा में हम कह सकते है जैसे हार्ट अटैक होता है , वैसे ही पैरो में भी अटैक (एक्यूट लिंब इस्केमिअ) हो सकता है , जिसमे पैर ठंडे और नीले पड़ जाते हैं, और समय पर इलाज  न होने पर इसे काटना पड़ सकता है।